मैं तो एक परिंदा हूँ
नही चाह है मेरी कोई ,
कोई नही मेरा नाता,
मुझे मेरे सपनो से हटकर,
ना कुछ आता , ना कुछ भाता,
नही धरा पे चलने वाला,
ना आसमान का बंदा हूँ,
खुले गगन मे उड़ने वाला ,
मैं तो एक परिंदा हूँ,...............................
नही मेरा कोई चेहरा ,
ना दुख़ का मुख पर कोई सेहरा
नई सोच नॅव आकांक्षाओ पर,
नही काल का कोई पहरा,
डर नही मुझे कोई मिट जाने का,
मरकर भी मैं जिंदा हूँ,
तर हिय मे रहने वाला ,
मैं ऐसा एक बसिन्दा हूँ
खुले गगन मे उड़ने वाला ,
मैं तो एक परिंदा हूँ.....................................