बढ़ा सको अगर कदम , ना छोड़ना उस राह को,
जिसमे विलिप्त भावना कि त्याग दूं बिकार को,
साकार जन्म हो तेरा निहित कर्म मे बढ़े चलो,
पुनीत जोड़ नीति से जन्म दो नये आकार को !
बढ़ा सको ..................................
हर रास्ते आसान है, कठिनाइया सामान है,
सुकीर्ति भाव ले चले जगह-जगह अपमान है,
ना डरना हीन भाव से ना प्रीति के अभाव से,
कदम बढ़ा निकल चले वही तो वर्धमान है,
सॅंजो के धीर भावना निकल दो विकार को,
संभाल लो अगर कदम, स्वप्न भी तेरे साकार हो,
बढ़ा सको ..................................
लड़कर सभी कठिनाइयों से, छोड़कर बुराइयों को,
उठ खड़ा निर्भीक हो, सिंचित करे माँ भारती ,
बदल के अपने आप को, बदल दो अब समाज को,
प्रथस्त होंगे राह सब, देव भी तेरे हों सारथी,
यदि विश्वास होगा आपमे , बहेगा ये समाज मे,
कदम मिला प्रखर रहे, संसार तेरे साथ हो,
बढ़ा सको .................................
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