***************
जन्म हुआ मानव तन मे
कुछ कर्म करो ऐसा जीवन मे,
हुंकार उठे धरती अंबर,
कैसा सपूत मेरे आँगन मे,
अपनी काया से जगती मे ,
मानव जाति का नाम करो,
उद्गम विचारो से हर मन मे,
सुलभ भाव निर्माण करो,
ताकि बैठ अकेले डेरे मे,
अपने जीवन पर अभिमान करो,
कुछ कर्म करो ऐसा जीवन मे,
जन्म हुआ तेरा मानव तन मे
हुंकार उठे धरती अंबर,
कैसा सपूत मेरे आँगन मे,
पतझड़ से पर्वत तक बस,
हर एक नज़ारा तेरा हो,
संघर्षो की गलियों पर भी,
हर एक किनारा तेरा हो,
उम्मीदो की डोरी पर भी
सिर्फ़ एक सहारा तेरा हो,
कुछ कर्म करो ऐसा जीवन मे,
नाम रहे तेरा हर मन मे
हुंकार उठे धरती अंबर,
कैसा सपूत मेरे आँगन मे,
तेरे तप से धरती तप कर,
पूजी जाए चंदन बनकर,
तेरी गाथा सभी बखान करे,
धरती से लेकर अंबर तक,
सुनकर धरती भी लहर उठें,
अंबर तुझ पर अभिमान करे,
भगवान भी धरती पर आएँ,
तेरे तप के चंदन का लेपन कर,
कुछ कर्म करो ऐसा जीवन मे,
जन्म हुआ तेरा मानव तन मे
हुंकार उठे धरती अंबर,
कैसा सपूत मेरे आँगन मे,
***